Mumbai real estate crisis : The shadow behind the glitter of dreams मुंबई रियल एस्टेट का संकट: सपनों की चमक के पीछे साया

  • datta Nighut by datta Nighut
  • 3 weeks ago
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मुंबई — वो शहर जो कभी सपनों की उँची उड़ान और आसमान छूती इमारतों के लिए जाना जाता था, आज एक ऐसे संकट से जूझ रहा है जिसने बिल्डरों की नींद और खरीदारों का भरोसा दोनों छीन लिया है।

आज का मुद्दा: मुंबई का रियल एस्टेट संकट। ( Mumbai real estate crisis )

जहां करोड़ों के फ्लैट सुनहरे सपनों का वादा करते हैं, वहीं अब वो अधूरी इमारतों और ठंडी पड़ी बिक्री की मार झेल रहे हैं। बिल्डरों के पास स्टॉक भरा पड़ा है, लेकिन खरीदार नदारद। मार्केट सेंटिमेंट लगातार गिर रहा है और सपनों का ये शहर सवालों के घेरे में खड़ा है।

कहानी की शुरुआत: 2021 की वो मिठाई

2021 में महाराष्ट्र सरकार ने बिल्डरों को एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) में बड़ी छूट दी। आसान भाषा में कहें तो, जितना ज़्यादा एफएसआई, उतना ज़्यादा निर्माण। सरकार ने एफएसआई सस्ता किया और बिल्डर प्रोजेक्ट्स की लाइन लगाकर दौड़ पड़े। आंकड़े बताते हैं कि उस साल सामान्य के मुकाबले 6 गुना ज्यादा फ्लैट्स की मंजूरी ली गई।

डिमांड अनलिमिटेड का सपना देखा गया।
शेयर बाजार चढ़ा, सेंटीमेंट बूम पर, और हर प्रोजेक्ट लॉन्च पर कंपनियों के शेयर उड़े।

2024: बुरे सपने की शुरुआत

साल 2024 बिल्डरों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। पहले 6 महीने कमजोर, फिर मानसून का हवाला। मगर असली झटका अक्टूबर-दिसंबर में पड़ा। जब बिक्री पूरी तरह धड़ाम हो गई। बिल्डरों की समझ में आने लगा कि ये लोकसभा चुनाव या बारिश का असर नहीं — ये तो ढांचागत कमजोरी है।

मुंबई का हर इलाका आज लोअर परेल बन चुका है।
जहां 2012-2020 में बेतहाशा प्रोजेक्ट बने और बिके नहीं। आज वही कहानी पूरे शहर में।

खरीदारों की नई स्ट्रैटेजी

अब खरीदार पासिव नहीं, स्मार्ट हो गया है।
जहां पहले उसके पास 8 ऑप्शन होते थे, अब 30 हैं।
जहां वो 3 महीने में फैसला करता था, अब 7-8 महीने तक प्रोजेक्ट को परख रहा है।

क्यों?

  • कीमतें आकर्षक नहीं।
  • हर बिल्डर वही माल बेच रहा।
  • और खरीदार जानता है, आगे और प्रोजेक्ट्स आने वाले हैं।

डिस्काउंट और स्कीम्स का जाल

बिल्डर अब 10:90 और 20:80 जैसे पेमेंट प्लान्स और टेबल के नीचे डील्स ऑफर कर रहे हैं। मगर कब तक?
जल्द ही कीमतों में कटौती सामने आएगी।

सरकार की गलती या मिलीभगत?

2021 में सरकार ने एफएसआई छूट देकर सप्लाई की बाढ़ ला दी, मगर डिमांड को संभालने की कोई रणनीति नहीं बनाई। आज हालात ये कि बांद्रा से सांताक्रूज़ तक लग्जरी प्रोजेक्ट्स की लाइन है, लेकिन ग्राहक नदारद।

अब क्या?

  • खरीदार जल्दबाज़ी न करें।
  • हर प्रोजेक्ट को 4-5 महीने तक परखें।
  • सिर्फ कीमत नहीं, बिल्डर की रीपुटेशन और प्रोजेक्ट प्रोग्रेस देखें।
  • सस्ता सौदा भरोसेमंद बिल्डर से लें।

अंत में सवाल:

क्या बिल्डर कीमतें घटाएंगे या फिर चमत्कार का इंतज़ार करेंगे?
क्या सरकार कोई नया कदम उठाएगी या सब यूं ही चलेगा?

आपका क्या कहना है?
क्या मुंबई रियल एस्टेट सच में संकट में है या यह बस एक फेज है?
कॉमेंट में अपनी राय ज़रूर बताइए।

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